सुन लो मेरे प्यारे बच्चो
तुम्हें माँ भारती पुकारती
उपकार है उसके कहीं तुम पर
तुमको है ये जानना
सींचा है उसने तुम्हें अपनी शीतलता से
ये है तुमको मानना
मैं भारती शीतल हूँ
मुझमें गुलज़ार सी धार नहीं
मगर मैं कुछ तुमको बतलाता हूँ
क्या कर्तव्य नहीं तुम्हारे इस धरा के प्रति
जिसमें तुमने जन्म लिया
तुम्हें पता है न जाने कितने महापुरुषों ने मिलकर इसका गौरव बढ़ाया है
फिर तुम क्यों करते हो वो कुकर्म जिसे देख इसका जी घबराया है ।
बहन बेटियों से हो रहा दुराचार क्या तुम्हें दिखता नहीं।
अब तो उठो मेरे भारत के विरेन्द्रों ।
क्या तुम्हें कुछ अच्छा जचता नहीं ।।
तुम्हें माँ भारती पुकारती
उपकार है उसके कहीं तुम पर
तुमको है ये जानना
सींचा है उसने तुम्हें अपनी शीतलता से
ये है तुमको मानना
मैं भारती शीतल हूँ
मुझमें गुलज़ार सी धार नहीं
मगर मैं कुछ तुमको बतलाता हूँ
क्या कर्तव्य नहीं तुम्हारे इस धरा के प्रति
जिसमें तुमने जन्म लिया
तुम्हें पता है न जाने कितने महापुरुषों ने मिलकर इसका गौरव बढ़ाया है
फिर तुम क्यों करते हो वो कुकर्म जिसे देख इसका जी घबराया है ।
बहन बेटियों से हो रहा दुराचार क्या तुम्हें दिखता नहीं।
अब तो उठो मेरे भारत के विरेन्द्रों ।
क्या तुम्हें कुछ अच्छा जचता नहीं ।।
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