VIJ => राह उनकी आसान होगी ,
जिनके सपनों में जान होगी।
आगे तो वहीं बढेंगे,
जिनके हौसलों में उडान होगी।।
VIJ => हमारी जुदाई में वो हर पल आंसू गिराते है वो,
फिर भी शुक्र है जब भी मिलते है नजर मिलाते है वो,
चाहे उनकी आंखे हमसे मिलकर बहने लगे,
फिर भी हमारी मुलाकात को इक अच्छा एहसास बताते है वो।
जुदा वो हमसे होना नहीं चाहते।
फिर भी जब भी जुदा होते है मुस्कुराते है वो।।
VIJ => उनसे जुदा होकर हम खुश रहे ये हो नहीं सकता,
उनकी जुदाई में हम उन्हें भुलादे ये हो नहीं सकता।
उनकी एक मुस्कुराहट के खातिर मिट सकते है हम,
हमारी मुस्कुराहट के खातिर उनकी मुस्कुराहट मिटा दे ये हो नहीं सकता।।
VIJ => सात फेरो की सातो रश्में, तोड़ डाली उसने।
सात जन्मों का साथ इक पल में तोड़ डाला उसने,
दिल ये बात करके याद रोता है।
कि इंसान सात फेरे क्यों लेता है।।
VIJ => जिसे कभी आपके बिना जीने की आदत ना हो,
उसे लम्बी उम्र की दुआ मत देना।
जिसे कभी रोने की आदत ना हो उसे जुदाई का दर्द मत देना।
क्योंकि सारी दुनिया के लिए तुम एक इंसान हो।
लेकिन एक इंसान के लिए तुम सारी दुनिया हो।।
VIJ => बढ़ने के सहारे गिरना ना सिखा हमने।
किसी की गुस्ताखी को माफ करना ना सिखा हमने।
वादा करके हम तोड़ते नहीं।
गुस्ताखी करने वाले को हम छोड़ते नहीं।।
शायर विरेन्द्र भारती
8561887634
जिनके सपनों में जान होगी।
आगे तो वहीं बढेंगे,
जिनके हौसलों में उडान होगी।।
VIJ => हमारी जुदाई में वो हर पल आंसू गिराते है वो,
फिर भी शुक्र है जब भी मिलते है नजर मिलाते है वो,
चाहे उनकी आंखे हमसे मिलकर बहने लगे,
फिर भी हमारी मुलाकात को इक अच्छा एहसास बताते है वो।
जुदा वो हमसे होना नहीं चाहते।
फिर भी जब भी जुदा होते है मुस्कुराते है वो।।
VIJ => उनसे जुदा होकर हम खुश रहे ये हो नहीं सकता,
उनकी जुदाई में हम उन्हें भुलादे ये हो नहीं सकता।
उनकी एक मुस्कुराहट के खातिर मिट सकते है हम,
हमारी मुस्कुराहट के खातिर उनकी मुस्कुराहट मिटा दे ये हो नहीं सकता।।
VIJ => सात फेरो की सातो रश्में, तोड़ डाली उसने।
सात जन्मों का साथ इक पल में तोड़ डाला उसने,
दिल ये बात करके याद रोता है।
कि इंसान सात फेरे क्यों लेता है।।
VIJ => जिसे कभी आपके बिना जीने की आदत ना हो,
उसे लम्बी उम्र की दुआ मत देना।
जिसे कभी रोने की आदत ना हो उसे जुदाई का दर्द मत देना।
क्योंकि सारी दुनिया के लिए तुम एक इंसान हो।
लेकिन एक इंसान के लिए तुम सारी दुनिया हो।।
VIJ => बढ़ने के सहारे गिरना ना सिखा हमने।
किसी की गुस्ताखी को माफ करना ना सिखा हमने।
वादा करके हम तोड़ते नहीं।
गुस्ताखी करने वाले को हम छोड़ते नहीं।।
शायर विरेन्द्र भारती
8561887634
No comments:
Post a Comment