Wednesday, May 3, 2017

रात








हम रात बगीयन में डोले
बनके हमजोली
कुछ वो मुझसे बोला
कुछ मैं उससे बोली

उस रात नें
खुशियन में ऐसी भंग घोली
बिन रंगो के
खेली मैंने पियवर संग होली


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गजल एक भारती