कर - कर मेहनत थक गया ।
रे नर वो यूँही पक गया ।।
सरकार ने ली नहीं सुध ।
और वो धुप में सक गया ।।
मेहनत उसकी कितनी है ।
और मजदूरी कितनी सी ।।
वो फिर भी कभी डिगा नहीं ।
वो फिर भी कभी मिटा नहीं ।।
रे नर वो किसान है ।
उससे देश का मान है ।।
वो जो नहीं तो बंजर सारा जहाँन है ।
रे नर वो किसान है ।।
वो पालता सबका पेट ,करता ना गुणगान है ।
रे नर वो किसान है, रे नर वो किसान है ।।
वो गर्व है इस देश का ।
वो सर्व है इस देश का ।।
सब सोचों उसका भला , जो पोषित कर रहा सारा जहाँन है ।
रे नर वो किसान है, रे नर वो किसान है ।।
करता निवेदन भारती एक आयोग उसको भी ला दों ।
ओ सरकार चलाने वालों उसका भी ओदा बढ़ा दो ।।
है वो भी पिता तुल्य रे नर ।
क्योंकि वो करता काम महान है ।।
रे नर वो किसान है ।
रे नर वो किसान है ।।
उसके ही दम पे जीवित है हस्तियाँ ।
बिन उसके कैसे टिकती बस्तियाँ ।।
रे मानव वो महान है ।
वो जो किसान है ; वो जो किसान है ।।
लेखक विरेन्द्र भारती
8561887634
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